कोई नहीं है सरहद के सिपाही से बड़ा
कोई नहीं है सरहद के सिपाही से बड़ा इक वो है जो संगीन लेकर मौत की छाती पर चढ़ा है। और अपने लहू से इस देश का महान इतिहास गढ़ा है। इक ये भी हैं, जो पत्थरों पर अपना माथा पटकते हैं, मंदिरों-मस्जिदों में जा-जाकर बूत पूजनेवालों ज़रा ध्यान से सुनो, कोई नहीं है सरहद के सिपाही से बड़ा। अपने स्वार्थ में होकर अंधे धृतराष्ट्र माफ नहीं करेगा तुम्हें कभी इतिहास बांटते हो इंसानों को लालच की खातिर परजीवी शैतान हो कपटी हो लालची भी। अन्नदाता औ देश का मजदूर भी देखो किस कदर हताश निराश हो रहे हैं रोज मौत को लगाते हैं गले अपनी तुम अट्टाहास करते हो जीत पर अपनी आर आऱ यादव