नाम बदल कर काम करवाने का चलन आ ज कल का चलन हो गया है नाम बदल कर काम करवाने का। देखिए न पिछले कई दशकों सें पुराने शहरों के नाम बदले जा रहे हैं। हद तो यह है कि पिछली सरकारों के विकास दर भी बदले जा रहे हैं, विभागों के नाम बदले जा रहे हैं, योजनाओं के नाम तक बदल दिए गए। लेकिन किसी ने भी पुरानी दर पर न तो पेट्रोल मुहैया कराया, न तो सोना-चांदी के दाम ही कम कराए..इतना ही नहीं, पुरानी दर पर न तो किसी को प्रॉपर्टी मिल पा रही है और न ही जमीन जायदाद के दाम ही कम कर पाए हैं...जब पुराना ही लागू करना था तो जनता को जिसका लाभ मिलता, वह फैसला लिया जाता... देखिए इलाहाबाद का पुराना नाम प्रयागराज था, उसे बदलकर साहब लोगों की पारटी ने प्रयागराज कर दिया। मुंबई का पुराना नाम बंबई और चेन्नई का पुराना नाम मद्रास था। कलकत्ता को कोलकाता बुलाया जाने लगा है। पुराने शहरों का नाम बदल दिया गया। देश के कई दूसरे शहरों के नाम भी बदले गए, लेकिन महान पार्टियों ने कभी पुराने पेट्रोल का दाम जो कभी 2 रुपए था, वह नहीं किया। सोने का दाम 250 रुपए तोला था, गेंहू-चावल 1 रुपये किलो मिलता था। उस कीमत पर महान स...
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