जल्लाद निजाम की खूनी साजिश...

जल्लाद निजाम की खूनी साजिश...


जल्द ही एक नई स्टोरी पूरी होगी...नई फिल्लम भी बनेगी। क्या गजब का प्लॉट है...। सुनिए....ध्यान दीजिए...गौर फरमाइए...। कैसे लगी यह स्टोरी...बताइए जरूर...। 

किसी राज्य में अचानक रहस्यमयी घटनाएं होने लगती हैं...। कोई समझ नहीं पाता ...हो क्या रहा है...।  एक राज्य का गृहमंत्री, राजनीति और सामाजिक विषयों पर अच्छी पकड़ भी...। लेकिन किसी महत्वाकांक्षी छुटभैये ने उस चतुर गृह मंत्री को फांस लिया। कभी राज्य के सीएम पद के दावेदार रहनेवाले गृह मंत्री की अचानक हत्या हो जाती है... वह भी तब, जब छुटभैया अचानक से सीएम की कुर्सी हथिया लेता है.... छुटभैया सीएम की महत्वाकांक्षा बढ़ती जाती है...युवा गृह मंत्री से तकरार भी....। इंजीनियर की डिग्री हासिल करनेवाले युवा गृहमंत्री की हत्या में शेयर बाजार में दलाली करनेवाले एक शख्स और सीएम का नाम सामने आता है...। शेयर मार्केट के दलाल के पास सीएम के कुछ गुप्त राज हैं....उस राज के बदले सीएम झुकता जाता है...।

फ्लैश बैक में युवा गृह मंत्री की कहानी....
         वह मुख्यमंत्री के दाहिने हाथ बन कर उभरता है... 1998-2001 के दौरान अपनी काबिलियत के बल पर राज्य के गृह मंत्री पद पर पहुंच भी जाता है...। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर थी...। इस बीच, पार्टी नेतृत्व ने छुटभैये नेता को, राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के झगड़े में उसकी आग लगाने वाली भूमिका के लिए, राज्य से निर्वासित कर दिया। उसे राष्ट्रीय सचिव के रूप में काम करने के लिए हस्तिनापुर भेजा गया। शातिर छुटभैये ने इस अवसर का बखूबी इस्तेमाल किया...। मीडिया के साथ अपने रिश्ते मधुर और प्रगाढ़ किए...। सोची समझी रणनीति के तहत उसने कभी दोस्त रहे सीएम के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। राजनीतिक उठापठक का दौर शुरू हो गया। इसी बीच, राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है....मानो छुटभैये नेता को शानदार अवसर की सौगात मिल गई हो...। उसने मीडिया के मार्फत खुद को मुख्यमंत्री के पद के लिए दावेदारी करने का काम शुरू कर दिया...। शातिर के पास केंद्रीय राजनीति में शामिल नेताओं के अंतरंग राज भी खुल गए थे....। उसी की बदौलत उसने सौदा कर लिया....। देखते ही देखते उसे प्राकृतिक आपदा के बाद राज्य का अगला सीएम बना दिया गया।
सीएम बनने के बाद छुटभैए नेता का रसूख बढ़ने लगा...। उसे युवा इंजीनियर और गृह मंत्री खटकने लगा...। उसे कैबिनेट में भी जगह नहीं दी....उसे राज्य मंत्री के लायक समझा गया...। सीएम पद के रूप में नियुक्त होने के बाद संवैधानिक रूप से विधानसभा सीट जीतना जरूरी था...। कुटिल सीएम ने युवा मंत्री से उसकी सुरक्षित सीट छोड़ने को कहा...लेकिन युवा मंत्री ने साफ इनकार कर दिया...। उसी दौरान... अचानक से राज्य में दंगे भड़कने लगते हैं...। सीएम के साथ तब शेयर बाजार का दलाल भी साथ में सहयोगी के रूप में आ गया था...। युवा मंत्री ने इस दंगे की पोल खोलने की कोशिश की और मीडिया में शैतान की मांद से एक प्लॉट शीर्षक से लेख भी छपा...। युवा मंत्री को पद छोड़ने पर मजबूर किया गया... उसने इस्तीफा भी दे दिया...। लेकिन युवा मंत्री अखबारों के जरिए इस शैतानी प्लॉट की पोल खोलने लगे...। शातिरों को जब आभास हो गया कि अब वह नहीं बच पाएंगे, तो खतरनाक गेम बनाया गया....।
शातिर सीएम ने युवा मंत्री की सुरक्षित सीट पर कब्जा करने की सोची...विधानसभा चुनाव में टिकट ही नहीं दिया...। निर्णय की घड़ी में वह बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती हो गया...। उसके नाटक और ब्लैकमेलिंग से केंद्रीय राजनीति करनेवाले नेता भी हाथ बांध कर खड़े हो गए....। युवा मंत्री की जगह किसी और को उम्मीदवारी दी गई....उसी दिन सीएम को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गई...।
      दूसरे दिन उस युवा मंत्री की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई...। तीन घंटे तक युवा मंत्री और कभी राज्य के गृहमंत्री रह चुके इंसान की लाश खून से लथपथ सड़क पर पड़ी रही....। पुलिस वहां से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर थी.... लेकिन पहुंचने में तीन घंटे लग गए....।
    राज्य पुलिस और जांच एजेंसी से कहलवा दिया गया कि युवा मंत्री की हत्या, पड़ोसी मुल्क की एजेंसी, आतंकी संगठन और दुबई से ऑपरेट करनेवाले अंडरवर्ल्ड डॉन ने करवाई है...। कई लोगों को गिरफ्तार किया गया... केस बहुत ही धीमी गति से चलाया गया... आठ साल बाद, राज्य की हाईकोर्ट ने सभी आरापियों को बरी कर दिया और पूरे मामले को ही खारिज कर दिया...।
इस बीच, युवा मंत्री की हत्या के आऱोप में बंद एक आरोपी और उसकी पत्नी की भी हत्या हो जाती है...। इस बार .मोहरा बने राज्य के डीआईजी....उनकी भी कुछ फाइलें सीएम के पास दबी थीं... डीआईजी ने ही  शूटर और उसकी बीवी का कथित इनकाउंटर करवाया....इसका एक चश्मदीद गैंगस्टर आज भी सजा काट रहा... इस साजिश का गवाह..... लेकिन उसे जमानत तक न मिल सकी....
    इसी बीच शातिर सीएम और शेयर दलाल खुद को मामले से बरी करवा लेते हैं...। बाद में शातिर सीएम की बढ़ती हवस कई कांड करवाते हैं.... पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं के कच्चे चिट्ठे और कई राज उसके पास पड़े हैं....इसी के बलबूते वह देश का मुखिया भी बन बैठता है....। सजा से बचाने वाले वकील और जज को प्रमोशन मिलता है....सबसे बड़ी अदालत का सर्वोच्च पद भी मिलता है...।
    फर्जी मुठभेड़ और दंगे के राज जाननेवालों का नतीजा स्वर्गारोहण ही होता है....। इस कांड के राज जाननेवाले एक मुफ्ती को भी रहस्यमयी तरीके से गायब करा दिया जाता है...। उसके गायब होने के एक साल बाद, उसकी पत्नी और बच्चे भी अचानक ही गायब हो जाते हैं....। पुलिस और खुफिया तंत्र के कान जूं तक नहीं रेंगती...। मामला फाइलों में बंद हो जाता है...सभी आऱोपी बरी हो जाते हैं....। न्याय अंधा होता है....जज की कुर्सी पर वही प्रमोशन पानेवाले साहब विराजमान हैं....। पर्दा गिर जाता है....। 

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