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Showing posts from October, 2018

विकास पंगु हो गया है... धक्का देने के लिए विनाश जरूरी है...

विकास पंगु हो गया है... धक्का देने के लिए विनाश जरूरी है... साल 2019 के चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा अहम रहेगा। प्रधान चुकीदार के सारे विकास दावे एक तरफ और मंदिर का मुद्दा एक तरफ होगा। काश कि आज श्रीमान मिसिरा जी होते, तो राम मंदिर का निर्माण का फैसला सुना ही देते। लेकिन गोगोई जी पर असर नहीं हो रहा है शायद, वे भगवान के नाराज होने से भी नहीं डरते, तभी तो निडर होकर फैसला ले लिया और अगले साल के लिए सुनवाई टाल दिया है। हो सकता है, अगली बेंच में ही वे न हों...। शाह और स्वामी ने पहले ही चेता दिया है...ऐसा कोई भी फैसला सुको न करे, जिसको लागू ही नहीं किया जा सके। जस्टिस लोया याद हैं किसी को....। विकास पंगु हो गया है, इसे आगे बढ़ाने के लिए घटिया नेताओं की इस फौज ने अब विनाश के रास्ते पर चलने का फैसला ले लिया है। विनाश के रास्ते चल कर ही तो सत्ता सुंदरी का स्वाद चखा है। चड्ढी गैंग की सत्ता की हवश अब केवल और केवल विनाश, सांप्रदायिकता और नर संहार के रास्ते ही तो बुझेगी। ऐसा प्रतीत हो रहा है - साल 2019 का चुनाव रक्तों की नदी से गुजरते हुए लड़ा जाएगा...। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को...

जांच एजेंसी की साख पर बट्टा या राजनीतिक बिछात में पिसती सीबीआई

जांच एजेंसी की साख पर बट्टा... या राजनीतिक बिछात में पिसती सीबीआई देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की साख एवं प्रतिष्ठा पर हमेशा से ही सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। लेकिन जिस तरह से जांच एजेंसी के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच आपसी लड़ाई सामने आई है, उससे जांच एजेंसी की विश्वसनीयता और भी कमजोर हुई है।   सीबीआई के बारे में धारणा बन गई है कि वह राजनीतिक रूप से इस्तेमाल होती है और सरकार अपने विरोधियों को काबू में रखने के लिए उसका इस्तेमाल करती रही है। जयललिता, लालू, मायावती और मुलायम सिंह यादव की आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की भूमिका ने इस धारणा को और मजबूत किया है। इन सबके बावजूद विगत वर्षों में इस संस्था में लोगों का भरोसा डिगा नहीं है। मामले की निष्पक्ष जांच के लिए लोग सीबीआई जांच की मांग उठाते रहे हैं। यह भरोसा ही सीबीआई की साख एवं विश्वसनीयता का आधार है लेकिन दो उच्च अधिकारियों की घूसखोरी के पूरे प्रकरण ने जांच एजेंसी की उसी साख, विश्वसनीयता एवं निष्ठा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और उसके विशेष निदेशक राकेश अस्थान...

आयातित देवी की आंखों पर तो पट्टी बंधी है

  आयातित न्याय देवी की आंखों पर तो पट्टी बंधी है... बचपन से ही पढ़ते और सुनते आ रहे हैं - न्याय में असमानता न हो इसलिए वे आँख पर पट्‍टी बाँधकर ही न्याय तौलती है। लेकिन तराजू का पलड़ा सम है यह कैसे पता चल सकेगा। आंखें तो बंद हैं न्याय तौलनेवाली पत्थर की देवी के। फिर केवल सुनकर ही निर्णय कैसे हो सकेगा। झूठ का पलड़ा भारी ही रहता है तो फिर सच कैसे मजबूत होगा। प्रयास को सफलता मिलेगी कैसे? यह देखने सुनने के बाद भी न्याय अन्याय का फैसला कैसे किया जा सकता है? क्या वैसे ही, जैसे सदियों से फैसला किया जाता रहा है। मनुवादी फैसलों के तहत...। न्यायपालिका, कार्य पालिका में भी तो वर्णवादी व्यवस्था की भरमार है, तो फिर आयातित देवी की आंखों पर तो पट्टी बंधी है, यहां के मूल निवासियों की भाषा को कैसे समझ सकेंगी विदेशी मूल की न्याय देवी।           कानून और कचहरी का जब भी जिक्र होता है ,न्याय की देवी की एक मूरत सामने होती है। साथ ही उभरती है – आँखों पर पट्टी बंधी, एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवारधारी देवी की मनमोहक छवि। लेकिन भारत में इस न्याय की देवी का नाम क्या...

सतीत्व नष्ट होते ही देवताओं की विजय का मार्ग प्रशस्त होगा...

सतीत्व नष्ट होते ही देवताओं की विजय का मार्ग प्रशस्त होगा... वेदों- पुराणों में सती देवियों और महिलाओं का खूब जिक्र आता है। देवी देवताओं और देवताओं के राजा इंद्र का भी नाम आता है। इन कथाओं में असूरों और दानवों के साथ ही मानवों का भी विचित्र कथानक किया गया है। खासकर असूरों और दानवों को खल पात्र बताया गया है। लेकिन रोचक बात यह है कि इन खल पात्रों की पत्नियों को सती बताने में कोताही नहीं बरती गई है। इन खल पात्रों की पत्नियों के सतीत्व के कारण देवताओं की पराजय होती रहती थी। देवराज इंद्र तक परास्त हो जाते थे, केवल सतीत्व के कारण। फिर इन खल पात्र चरित्रों को हराने के लिए महान बलशाली त्रिदेवों की मदद ली जाती थी। इन त्रिदेवों का काम होता, संसार की रक्षा करना। त्रिदेवों में से एक देव संहार कर्ता, एक देव  पालनकर्ता व रक्षक के रूप में जिम्मेदारी संभालता औऱ एक देव सृष्टि पैदा करनेवाला जिम्मा संभालता था। तो रक्षक की भूमिका निभानेवाले देव ही अक्सर देवराज के निवेदन को स्वीकार करता। देवराज के निवेदन पर देवताओं के रक्षक असूरों और दानवों की पत्नियों का सतीत्व नष्ट करते और उसके बाद देवताओं की वि...