सतीत्व नष्ट होते ही देवताओं की विजय का मार्ग प्रशस्त होगा...

सतीत्व नष्ट होते ही देवताओं की विजय का मार्ग प्रशस्त होगा...


वेदों-पुराणों में सती देवियों और महिलाओं का खूब जिक्र आता है। देवी देवताओं और देवताओं के राजा इंद्र का भी नाम आता है। इन कथाओं में असूरों और दानवों के साथ ही मानवों का भी विचित्र कथानक किया गया है। खासकर असूरों और दानवों को खल पात्र बताया गया है। लेकिन रोचक बात यह है कि इन खल पात्रों की पत्नियों को सती बताने में कोताही नहीं बरती गई है। इन खल पात्रों की पत्नियों के सतीत्व के कारण देवताओं की पराजय होती रहती थी। देवराज इंद्र तक परास्त हो जाते थे, केवल सतीत्व के कारण। फिर इन खल पात्र चरित्रों को हराने के लिए महान बलशाली त्रिदेवों की मदद ली जाती थी। इन त्रिदेवों का काम होता, संसार की रक्षा करना। त्रिदेवों में से एक देव संहार कर्ता, एक देव  पालनकर्ता व रक्षक के रूप में जिम्मेदारी संभालता औऱ एक देव सृष्टि पैदा करनेवाला जिम्मा संभालता था। तो रक्षक की भूमिका निभानेवाले देव ही अक्सर देवराज के निवेदन को स्वीकार करता। देवराज के निवेदन पर देवताओं के रक्षक असूरों और दानवों की पत्नियों का सतीत्व नष्ट करते और उसके बाद देवताओं की विजय का मार्ग प्रशस्त होता।  
         तो सतीत्व नष्ट करने का जिम्मा पहले देवराज इंद्र का होता था। सारी नीच हरकत करता था, बहुरूपिया इंद्र छल कपट से असूरों और दानवों की पत्नियों का सतीत्व नष्ट कर देता था। जब देवराज इंद्र को सतीत्व नष्ट करने में सफलता नहीं मिलती, तब त्रिदेवों में से विष्णु जी का ध्यान करता। तब मायावी विष्णु इन खल पात्रों की पत्नियों का शील व सतीत्व खंडित कर देते। इधर सतीत्व नष्ट हुआ, उधर देवताओं की सेना असुरों और दानवों की सेना को मार भगाती और युद्ध जीत लेती।
       बला की चीज होती थी सतीत्व। लेकिन जब से आरक्षण लागू हुआ है, तब से सतीत्व की शक्ति भी नष्ट हो गई है। बताइए तो सही, अब कोई देवता पैदा नहीं हो रहा है, युद्धों को जीत नहीं पाता है। कोई देवता अवतार तक नहीं ले पा रहा है। किसी भी त्रिदेव की शक्तियां अज कारगर नहीं हो पा रही हैं। देश में लूटपाट, गुंडई, बलात्कार, हत्याओं का दौर चल निकला है। लेकिन कोई देवता, कोई राजा इंद्र मदद के लिए नहीं पहुंच पा रहा है।
      आरक्षण नहीं था, तब सारे देवता ध्यान मात्र से ही प्रगट हो जाते थे, वरदान देने लगते थे। 1950 के बाद यह आरक्षण नाम का शस्त्र ज्यादा शक्तिशाली हो गया। संविधान नामक किताब में आरक्षण के बारे में स्पष्ट लिखा गया है। संविधान के सहयोग से ही आरक्षण का यह शस्त्र ब्रम्हास्त्र से भी ज्यादा अमोघ निकला। आज 33 करोड़ देवताओं की सारी शक्तियों ने आरक्षण के समक्ष हार मान ली है। देखिए, सभी देवताओं के देवराजों ने संविधान को बदलने की ठानी है। देवताओं के झुंड ने विष्णु जी का ध्यान किया है। देवराज इंद्र का ध्यान किया है। यह दोनों का परम काम है सतीत्व नष्ट करना। देखिए, अब असूरों और दानवों का नाश संभव है।  जैसे ही सतीत्व नष्ट होगा, वैसे ही संविधान में आरक्षण नामक शस्त्र को नष्ट करने की तरकीब मिल जाएगी। बधाई...देश में जो बलात्कार हो रहे हैं, सब देवताओं की रक्षा के लिए ही तो हैं। सुर में बोलिए....राज्य आएगा।  

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